Shri Radha Rani, Shreeji Temple, Barsana (श्री राधा रानी श्रीजी मंदिर, बरसाना)

राधा रानी भव्य मंदिर से जुड़ा है श्री कृष्ण के समय का इतिहास, जानें इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे

हिंदू धर्म में मंदिरों की पूजा का विशेष महत्व है। देश में विभिन्न मंदिर स्थित है जिनमे अलग अलग देवी देवताओं की पूजा करने भक्तजन दूर दूर से आते हैं। ऐसे ही मंदिरों में से एक है उत्तर प्रदेश के बरसाना में स्थित श्री राधा रानी (लाडली जी) का भव्य मंदिर एक अति विशिष्ट हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश, मथुरा के बरसाने में स्थित है और यह मंदिर पूरी तरह से राधा रानी को समर्पित है। यह स्थान कृष्ण के भक्तो के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में शामिल है। राधा रानी मंदिर एक ऊंची विशाल पहाड़ी पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 250 मीटर है। वास्तव में इस मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक है और इससे जुड़ी कुछ धार्मिक कथाएं प्रचलित है। इस पहाड़ी को बरसाने का माथा भी कहा जाता है राधा रानी मंदिर को बरसाने की लाडली जी के मंदिर और राधा रानी का महल भी कहा जाता है। आइए जाने इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।

राधा रानी मंदिर का इतिहास

माना जाता है की राधा रानी मंदिर मूल रूप से लगभग 5000 साल पहले राजा ब्रजभान (कृष्ण के परपोते) द्वारा स्थापित किया गया था। कहा जाता है की मंदिर खंडहर में बदल गया था तब प्रतीक नारायण भट्ट द्वारा फिर से इसे खोजा गया और सन् 1675 ईस्वी में राजा वीर सिंह द्वारा एक मंदिर बनाया गया था। बाद में मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण नारायण भट्ट ने राजा टोडरमल की मदद से किया था। मंदिर के निर्माण के लिए लाल और सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जो राधा रानी और श्री कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माने जाते है। राधा रानी के पिता का नाम श्री वृषभानु और माता का नाम कीर्ति था। राधा रानी का जन्म जन्माष्टमी के 15 दिन बाद भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इसलिए बरसाना के लोगो के लिए यह मंदिर और दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन राधा रानी के मंदिर को फूलो द्वारा सजाया जाता है। राधा रानी को छप्पन प्रकार के व्यंजन परोसे जाते है।

श्री जी मंदिर अपने मेहरावो, स्तंभों और लाल बलुआ पत्थर के साथ, मुगल काल से संरचना की तरह दिखता है। यह लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है और इसकी आंतरिक दीवारों और छत पर जटिल हाथ की नक्काशी, सुंदर मेहराव, गुंबद और उत्तम चित्रों से सजाया गया है। मंदिर के लाल और सफेद पत्थरों को राधा और कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना गया है। इस मंदिर में 200 से अधिक सीडियां हैं जो जमीन से मुख्य मंदिर की ओर जाती है। इस मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के तल पर वृषभानु महाराज का महल है जहा वृषभानु महाराज, कितिदा (राधा की माँ), श्रीदामा (राधा की सहोदर) और श्री राधिका की मूर्तियां हैं। इस महल के पास ब्रह्मा जी का मंदिर भी स्थित है। इसके अलावा, पास में ही अष्टसखी मंदिर भी स्थित है जहा राधा और उनकी प्रमुख सखियों की पूजा की जाती है। चूंकि मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है इसलिए मंदिर के परिसर से पूरे बरसाना को देखा जा सकता है।

मंदिर के मुख्य त्योहार

राधाष्टमी और श्री कृष्ण जन्माष्टमी, राधा और कृष्ण के जन्मदिन, राधा रानी मंदिर के प्रमुख त्योहार है। इन दोनों दिनों में मंदिर को फूलो और रोशनी से सजाना जाता है देवताओं को नए कपड़े और आभूषण पहनाए जाते हैं। आरती के पश्चात, 56 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते है, जिन्हे “छप्पन भोग” कहा जाता है। राधा रानी मंदिर परिसर के अंदर बरसाना होली उत्सव, राधाष्टमी और जन्माष्टमी के अलावा, लट्ठमार होली भी मंदिर के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। लट्ठमार होली मनाने के लिए मंदिर में श्रद्धालु और पर्यटक दूर दूर से आते है। बरसाना में होली त्योहार के वास्तविक दिन में से एक सप्ताह पहले शुरू होती है और रंग पंचमी तक चलती है। इस जगह का आनंद लेने और राधे कृष्ण की भक्ति में सराबोर होने के लिए कम से कम एक बार आपको इस जगह की यात्रा जरूर करनी चाहिए

मंदिर का स्थान – राधा बाग मार्ग, बरसाना, उत्तर प्रदेश

  • ग्रीष्मकालीन समय – सुबह 05:00 बजे से दोपहर 02:00 बजे तक और शाम 05:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक,
  • शीतकालीन समय – सुबह 05:30 बजे से दोपहर 02:00 बजे तक और शाम 05:00 बजे से शाम 08: 30 बजे तक